शाकुनपाॅंखी - 2 - फिर वही सान्ध्य भाषा

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3. फिर वही सान्ध्य भाषा प्रातराश एवं विश्राम के बाद संयुक्ता ने पुनः कारु से अपनी बात स्पष्ट करने के लिए कहा।" मैंने इस शरीर को नष्ट करने का मन बना लिया था, रानी जू। आपके स्नेह ने ही मुझे जीवन दान दिया है। मुझे पुनर्जन्म मिला है, रानी जू ।' 'मेरा स्नेह भी किसी के लिए महत्त्वपूर्ण हो सकता है यह आज जाना। पर यह तो बता कि तू अपना शरीर क्यों नष्ट करना चाहती थी? इतना सुन्दर कान्तिमय शरीर क्या नष्ट करने के लिए बना है?""ग्लानिवश, रानी जू ।''फिर वही सान्ध्य भाषा। मैं कहती हूँ, तू स्पष्ट कह