... मन के अंदर.

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....हर एक व्यक्ति अपनेआप में एकदम से निराला होता है।उसके जैसा कोई नहीं।अपनी एक खास पहचान लिए हम घूमते है।अपनी मनोभावनिक जो भी बनावट है,उसमे सबसे अधिक हिस्सा हमारे आसपास घटित हो रही घटनाओं का होता है।सब अपने ही दुनिया में मगन है।वैसे तो जीवन जीये जा रहे है।बस फर्क इतना सा है की,किसीने पा लिया है और किसी को पाना है।पा लेने की खुशी से उसे फिर से खो देने का को डर होता है ना शायद यही जीवन का महत्वपूर्ण अंश है।फिर चाहे वो व्यक्ति हो,सुंदर सा रिश्ता हो या फिर मनचाही नौकरी हो या फिर धन ।जब