अनमोल रिश्तें

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कबूतरों का घोंसलाअशोक जी के दो पुत्रों में जायदाद और ज़मीन का बँटवारा चल रहा थाऔर एक चार बेड रूम के घर को लेकर विवाद गहराता जा रहा थाएकदिन दोनो भाई मरने मारने पर उतारू हो चले, तो पिताजी बहुत जोर से हँसे।पिताजी को हँसता देखकर दोनो भाई लड़ाई को भूल गये, और पिताजी से हँसी का कारण पूछा । पिताजी ने कहा- इस छोटे से ज़मीन के टुकडे के लिये इतना लड़ रहे हो,छोड़ो इसे आओ मेरे साथ एक अनमोल खजाना दिखता हूँ मैं तुम्हे !पिता अशोक जी और दोनो पुत्र अमन और चमन उनके साथ रवाना हुये ।पिताजी