निलावंती ग्रंथ - एक श्रापित ग्रंथ... - 7

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निळावंती को भगवान शिव के गणो में शामिल होने के लिये आवश्यक तावीज तो मिल गया था लेकिन उसने सोचा की वह जाने से पहले आज तक उसने जितना ज्ञान इकट्ठा किया है उसकी विरासत ग्रंथ के रूप में पीछे छोड़ना चाहती थी।उसने शुरूवात से सब कुछ लिखा चींटी की भाषा कैसे समझे, उसके संकेत क्या होते है आदि प्रकार से धीरे धीरे जंगल के सभी जानवरों के बारे में लिखा। उनकी भाषा लिखी। इसमें बहुत समय निकल गया। वह एक बहुत बड़ा ग्रंथ बन गया जिसका कोई नाम नहीं था। ना पढ़ने का कोई क्रम ही था। वह तो