कांटों वाले गुलाब

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रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे उसका फ़ोन आया "हेल्लो" किसी ने फुसफुसा - हट भरे शब्दों में कहा।   "हाँ, बोलो" उसने भी धीमें से कहा।   "सब तैयारी हो गई क्या, सुबह चार बजे की बस है।"   "मैंने अपने कपड़ों का बैग तो पैक कर लिया है, पैसे और गहने लेने हैं।"   "अपने सब दस्तावेज भी ले लेना, हो सकता है दोनों को नौकरी करनी पड़े, नया घर संसार जो बसाना है।"   "ओके, मैं सब कुछ लेकर तुम्हें कॉल करती हूँ।"   उसने सबसे पहले माँ की अलमारी खोली, और उसमें से गहनों का