श्री चैतन्य महाप्रभु - 4

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तैर्थिक ब्राह्मण पर कृपाएक दिन एक ब्राह्मण तीर्थों में भ्रमण करता हुआ नवद्वीप नगर में उपस्थित हुआ। वह गोपाल मन्त्र के द्वारा श्रीकृष्ण की उपासना करता था। उसने अपने गले में बाल गोपाल एवं शालग्रामशिला को लटकाया हुआ था। उसके शरीर से अद्भुत तेज निकल रहा था तथा वह सब समय अपने मुख से कृष्ण-कृष्ण उच्चारण कर रहा था। वह महाभाग्यवान ब्राह्मण नवद्वीप में घूमते-घूमते जब श्रीजगन्नाथ मिश्र के घर पर उपस्थित हुआ, तो श्रीजगन्नाथ मिश्र उसके अद्भुत तेज को देख झट उठकर खड़े हो गये और उसे प्रणाम किया। तत्पश्चात् उसके हाथ-पैर प्रक्षालन कराकर (धुलवाकर) उसे बैठने के लिए