आस्था का आभाष विश्वास

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आस्था का आभाष विश्वास सेठ जमुना दास की एकलौती बेटी नम्रता बचपन से ही धर्म भीरुऔर भारतीय परम्परा में विश्वास करने वाली माँ बाप का अभिमान थी पढ़ने लिखने में सदैव अव्वल अपने मोहल्ले शहर का गुमान रहती ।मोहल्ले आस पास के पड़ोसी अपने बच्चों को नम्रता जैसा बनने की नसीहत देते रहते।नम्रता धीरे सरे गुणों की दक्ष हो चुकी थी पाक शास्त्र ,सिलाई कड़ाई बुनाई ,नित्य संगीत आदिशिक्षा भी स्नातकोत्तर करने के उपरांत पूरी हो चुकी थी।अब सेठ जमुना दास को अपनी सर्वगुण संपन्न पुत्री के लिये योग्य वर कीतलाश थी मगर मुश्किल यह था की नम्रता के योग्य