(7) सती का दक्ष यज्ञ में जानादोहा : * दच्छ लिए मुनि बोलि सब करन लगे बड़ जाग।नेवते सादर सकल सुर जे पावत मख भाग॥60॥ भावार्थ:-दक्ष ने सब मुनियों को बुला लिया और वे बड़ा यज्ञ करने लगे। जो देवता यज्ञ का भाग पाते हैं, दक्ष ने उन सबको आदर सहित निमन्त्रित किया॥60॥ चौपाई : * किंनर नाग सिद्ध गंधर्बा। बधुन्ह समेत चले सुर सर्बा॥बिष्नु बिरंचि महेसु बिहाई। चले सकल सुर जान बनाई॥1॥ भावार्थ:-(दक्ष का निमन्त्रण पाकर) किन्नर, नाग, सिद्ध, गन्धर्व और सब देवता अपनी-अपनी स्त्रियों सहित चले। विष्णु, ब्रह्मा और महादेवजी को छोड़कर सभी देवता अपना-अपना विमान सजाकर चले॥1॥