रामायण - अध्याय 1 - बालकाण्ड - भाग 6

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(6) सती का भ्रम, श्री रामजी का ऐश्वर्य और सती का खेद* रामकथा ससि किरन समाना। संत चकोर करहिं जेहि पाना॥ऐसेइ संसय कीन्ह भवानी। महादेव तब कहा बखानी॥4॥ भावार्थ:-श्री रामजी की कथा चंद्रमा की किरणों के समान है, जिसे संत रूपी चकोर सदा पान करते हैं। ऐसा ही संदेह पार्वतीजी ने किया था, तब महादेवजी ने विस्तार से उसका उत्तर दिया था॥4॥ दोहा : * कहउँ सो मति अनुहारि अब उमा संभु संबाद।भयउ समय जेहि हेतु जेहि सुनु मुनि मिटिहि बिषाद॥47॥ भावार्थ:-अब मैं अपनी बुद्धि के अनुसार वही उमा और शिवजी का संवाद कहता हूँ। वह जिस समय और जिस