बूढ़े मास्टर जी

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दरवाज़े पर घंटी बजी | पत्नी रसोई में व्यस्त थी, तो गोपाल स्वयं ही दरवाज़ा खोलने के लिए उठा |“अरे ..., गुरु जी, आप ....” - गोपाल को अपनी आँखों पर बिलकुल विश्वास नहीं हो रहा था | बीस वर्ष के बाद आज अचानक उसके स्कूल के अध्यापक उसके घर आए थे | गोपाल ने पैर छू कर उनका अभिवादन किया | पत्नी और बेटे अरविन्द से उनका परिचय कराया तो उन दोनों ने भी गुरु जी के पैर छुए | गुरु जी को सोफे पर बिठा कर गोपाल अतीत की गलियों से गुज़रता हुआ स्कूल में पहुँच गया |वह