"हीर जितनी खूबसूरत थी, उसकी सखियां उतनी ही हसीन थीं। दुनिया में शायद ही कोई नस्ल होगी जो खूबसूरती में सियालों के कुनबे की इन हसीनाओं का मुकाबला कर सकती थी।हीर को अपने हुस्न पर बड़ा नाज़ था। उसके कानों में मोतियों से बनी झुमके चमक रहे थे। हीर का हुस्न अपने आप में कयामत की तरह था। उसको देखते ही लोग जमीं और जन्नत को भूल जाते थे।ओ कवि, तुम कैसे हीर के हुस्न का बखान करोगे? मुहब्बत से भरी उसकी आंखें जूही के फूल सी नर्म दिखती थी। उसके गाल गुलाब की पंखुरियों से कोमल थे। उसके होठों