हमसफ़र : हमदर्द

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वो रात कुछ यूँही सोते जागते गुजरी थी, आकर्ष और महक की। आकर्ष को दोपहर की फ़्लाइट से दिल्ली जाना था , जहां वह एक मल्टीनैशनल कम्पनी में नौकरी करता था । महक , उसकी पत्नी बनारस में एक शिक्षिका के पद पर नौकरी करती थी । आकर्ष महक से ही मिलने लगभग महीने में एक बार आ पाता था । इस बार तो उनको मिले हुए दो महीने से ज़्यादा का वक्त हो गया था । दिन तो बातों में गुज़र जाता था एक दूसरे के साथ , शाम होते ही कल की चिंता सताने लगती थी दोनो पति-