ध्यान दें - ये उस कालखंड और तब हुई घटनाओं के अनुसार लिखी एक काल्पनिक कहानी (Historical Fiction) है। पराक्रम से गूंजा ये गगन,थर-थर कांपे जिससे दुश्मन,सिंह के पंजों में तड़पे जैसे भुजंग! एक हाथ खड़ग - एक हाथ भाला,मेवाड़ की मिट्टी ने निकली थी वो ज्वाला,हल्दीघाटी को जिसने लाल कर डाला! हमलावरों की हिम्मत का हर कतरा डिगा,चेतक पर उन्हें वो शूरवीर यमराज दिखा! सुन चेतक के कदमों की छाप,उड़ गए शत्रु जैसे भाप, रूद्र ज्वाला की वो ताप,मेवाड़ की अटल दीवार...महाराणा प्रताप! मध्यकालीन भारत...15वी शताब्दी का समय! कई राजाओं के झंडों के तले भारत अनेक छोटे-बड़े राज्यों में बंटा