संध्या वंदन का समय सूर्य की किरणे मंदिर के कलश पर ऊर्जा बिखेर , लुप्त हो रहि है । बच्चे धूल में लत पत अपने घर की ओर प्रस्थान कर रहें है। मन नही है उनका घर को जानें का पर माता की पुकार पर जाना पड़ता है। खेतो से घर लोट रहे गांव के पुरुष थके हुए मोसम की मार खाए उम्मीद खत्म होती दिखाई दे रही दो मास सूखे ही बीत गए और फ़सल मुरझाए हुई अद मरी हालत में उम्मीद लिए खेतों में खड़ी खड़ी हैं। मौसम भी बड़ा अजीब हैं गर्मी में गर्मी का अहसास न