दुख में ही भगवान को………बहुत पुरानी बात हैं,किशनगढ़ के राजा ने अपनी प्रजा की नियत के बारे में पता लगाने के लिए सेनापति को बुलाया और एक आदेश पारित किया की सुखो व दुखो की पोटलिया बनाकर गाँवो के एक-एक मंचो पर रख दी जायें और ढिढोरा पिट वा कर पोटलियों को उठाने के लिए कहा जायें, कुछ समय बाद पता चला की सुखों की पोटलियाओं का पता ही नही चला सब ख़त्म हो गयी,दुखों की पोटलियों पर किसी ने हाथ नही लगाया.राजा उधर से निकले जा रहे थे की इधर एक निर्धन व्यक्ति दुखों की पोटलियों ले कर चल