अवधारणा

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सविता बड़ी देर से निर्धारित जगह पर उसका इंतजार कर रही थी और बेचैनी से बार बार मोबाईल में समय देख रही थी। इस बेचैनी के आलम में भी पिछले दिनों घटित घटनाओं को याद कर उसके चेहरे पर बरबस ही मुस्कान खिल गई। उसने सोचा भी नहीं था कि उम्र के इस पड़ाव पर उसके साथ ऐसा भी हो सकता है। हुआ यूँ कि समय गुजारने के उद्देश्य से कुछ महीने पहले बच्चों ने फेसबुक पर उसका एकाउंट बना दिया था जिसके जरिए वह कई साहित्यिक समूहों से जुड़ गई और धीरे धीरे स्वयं भी कुछ लिखने लगी थी।मित्रता