जहाज

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उमा जानकीरामन के तमिल कहानी का अनुवाद एस. भाग्यम शर्मा दिवाकर फैक्टरी की बस आते ही आराम से चढ़ गया। बस में तीसरी लाइन की खिड़की के पास जहां हमेशा बैठता है वहीं बैठ गया। प्राइवेट बस में ऐसी जगह मिलेगी क्या ? कहां बैठे ये फिकर इस बस में नहीं है। यहां तो सब की जगह निश्चित है। उसको अपने घर ‘जलहल्ली’ जाने में एक घण्टे से ऊपर समय लगता है। इसी दौरान एक नींद की झपकी ले लेता था हमेशा की तरह उसके साथ काम करने वाले राजेश व रामन अगले स्टॉप पर चढ़ कर पीछे की सीट