अंतिम सफर - 3

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कहानी का भाग 3 मेरे साथ दिन में क्या घटा था ।मैं इस वक्त सब भूल चुका था और अपने काम में व्यस्त हो गया था। फिर वही गांव के लोग, दोस्त उनके साथ बातचीत में इतना व्यस्त हो गया की उस पहाड़ की तरह चढ़ते वक्त मेरे साथ क्या हुआ था ।दिमाग से निकल चुका था। सच बताऊं तो यह हादसा इतनी बुरी तरह से दिमाग से निकला था कि, मैं किसी के सामने भी इस बात की चर्चा नहीं कर पाया था। एकदम जैसे मैं इस बात और हादसे को भूल गया हूं। शाम होते ही सभी लोग