फिर कुछ देर सोचने के बाद केशर बोली.... क्या कहा तुमने? तुम मंगल भइया के दोस्त हो और यहाँ उनके कहने पर आएं हो।। जी!हाँ! आप उनसे बात करने को तैयार ना थीं,इसलिए उन्होनें मुझसे कहा कि मैं आपके पास जाकर आपसे बात करूँ,रामजस बोला।। लेकिन क्यो वो मुझ तक अपनी बात पहुँचाना चाहते हैं?जो वें चाहते हैं वो कभी नहीं हो सकता,केशर बोली।। क्यों नहीं हो सकता? आपके भाई आपको इस दलदल से निकालने के लिए एड़ी से चोटी तक का ज़ोर लगाने को तैयार हैं और आप कहतीं हैं कि ये हो नहीं सकता,रामजस बोला।। तुम्हारी अकल क्या