सरजमीं - (अन्तिम भाग)

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उस रात शौक़त और फ़रज़ाना सारी दुनिया को भूलकर बस एकदूसरे की बाँहों में खो गए,उस दिन के बाद दोनों अपनी छोटी सी दुनिया में खुशहाल जिन्दगी जीने लगें,अब फ़रज़ाना कोचिंग की तरफ़ से बेफिक्र हो गई थी क्योकिं शौक़त ने कोचिंग का काम ठीक से सम्भाल लिया था,अब ज्यादातर शकुन्तला और शौक़त ही कोचिंग सम्भालते,फरज़ाना अब इत्मीनान से अपना स्कूल देखती और केवल दो घण्टों के लिए ही कोचिंग में पढ़ाने जाती।। दिन ऐसे ही बीत रहें थें और फिर एक दिन फ़रज़ाना ने सबको खुशखबरी सुनाई,शौक़त बहुत खुश हुआ और फ़रज़ाना से बोला.... अब आपको ज्यादा