दैनिक जीवन चर्चायाम् -अपेक्षितः श्लोकाः

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दैनिक जीवन चर्चायाम् अपेक्षितः श्लोकाः सूक्तियश्च। रामगोपाल भावुक संस्कृत भाषा देववाणी है। यह वैदिक एवं लौकभाषा हैं। वैदिक संस्कृत साहित्यिक होने के कारण कठिन लगती हैं, इसलिये लौकिक संस्कृत अधिक प्रचलन में हैं। आजकल तो संस्कृत के साहित्यकार अपने प्रचलन की भाषा के शब्दों को इससे जोड़कर इसे सरल बनाने का प्रयास कर रहे हैं। पुराने समय में पढ़े-लिखे लोग संस्कृत में ही बातचीत करते थे। इसके प्रमाण स्वरूप हमारे चारों वेद,शास्त्र एवं उपनिशद संस्कृत में लिपि बद्ध हैं। वेदों में मानव जीवन के कर्तव्य और अकर्तव्य को भलीभाँति परिभाषित किया गया है। आज