कहानी को समझने के लिए ,,पिछला भाग अवश्य पढ़े,, यह कहानी का,, भाग 2 अब आगे:- रात 11:00 बजे ,बलवंत अपनी बेटी से परेशान अपना सिर पकड़ कर सोफे पर बैठा हुआ है ,""उसे समझ नहीं आ रहा कि वह अपनी बेटी को सही रास्ते पर कैसे लाएं, पैदा होने के बाद उसे कितने लाड और प्यार से पाला था ,,और आज वही बेटी बड़ी हो कर ,,उसे खून के आंसू रोने पर विवश कर रही थी,,, बलवंत ,,टेबल पर पड़ा अपना मोबाइल उठाते हैं ,और अपने एक दोस्त को फोन मिलाने लगते हैं,,,, बलवंत,,"" हेलो प्रकाश "" प्रकाश,," हेलो