कैसी है ये मजबूरी  

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पूरी जिंदगी हमारा साथ देने वाले हमारे बुजुर्ग माता पिता अपने अंतिम वक्त में बिलकुल तन्हा रह जाते हैं और हम आंसू बहाते हुए यह सोचते रह जाते हैं कि काश अपनी व्यस्ततम जिंदगी से थोड़ा समय निकाल लिया होता.