यह कैसी विडम्बना है - भाग ४

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“वैभव मैं नाराज़ ज़रूर थी, सूटकेस लेकर जाने के लिए निकल भी पड़ी थी लेकिन तुम्हारे प्यार ने मुझे रोक लिया। जीवन साथी हूँ तुम्हारी, हर क़दम पर तुम्हारा साथ दूँगी, सिर्फ़ तुम मुझे सच्चाई से मिलवा दो।” “संध्या यह लंबी कहानी है, जिस समय मैं कॉलेज में पढ़ता था तब एक लड़की मुझसे प्यार करने लगी थी, पागल थी वह मेरे लिए। मैं जानता था कि उसके दिल में क्या चल रहा है। दिखने में बहुत ही खूबसूरत और दिमाग़ से भी उतनी ही होशियार। उसे इस बात का बड़ा ही घमंड था। उसे लगता था कि यदि वह