लकीर का फ़क़ीर

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दफ्तर से निकल कर दीपक बस स्टॉप की तरफ धीरे धीरे बढ़ रहा था कि उसके फोन की घंटी बज उठी। जेब से इयरफोन निकालकर उसने कान से लगाया और बातें करता हुआ बस स्टॉप की तरफ बढ़ता रहा। फोन उसकी माँ का था। बरसात का मौसम था और आसमान में काले काले बादल घिर आए थे। दीपक अभी तक घर नहीं पहुँचा था। अमूमन वह रोज अब तक घर पहुँच जाता था लेकिन दफ्तर में काम की अधिकता की वजह से आज उसे देर हो गई थी। इसी वजह से घबराकर उसकी माँ ने फोन किया था। उनकी घबराहट को महसूस