जीवन ऊट पटाँगा - 3 - तुम चोर पकड़ने क्यों गये ?

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तुम चोर पकड़ने क्यों गये ? नीलम कुलश्रेष्ठ “आ...आ..- आ.” तुम बिलकुल गलत समझे...यह कोई शास्त्रीय राग का आलाप नहीं है, न कोई गाना गाने से पहले अपना सुर साध रहा है, यह तो मेरी कराह है । मेरा सूजा हुआ बायाँ हाथ करवट लेने से दब गया है, इसीलिए मेरे मुँह से कराह निकल गई । तुम तो मुझे पहचानते नहीं हो....अब पूछोगे कि मैं कौन हूँ..मैं हूँ सिद्धार्थ....प्यार से लोग मुझे सिद्धू कहते हैं, तुम ने मुझे अपनी कॉलोनी में पहले नहीं देखा न ? देखते भी कैसे, मैं यहाँ गरमी की छुट्टियों में आया हूँ। किस के