कभी अगर हमसे कोई कहे, इंसानों में "राम" की तलाश है, तो एकाएक ऐसे महापुरुष की काल्पनिक छवि हमारे नयनों में तैरने लगती है, जो अलौकिकता से भरपूर होती है। जब भी हम "राम" शब्द का उच्चारण करते है, या किसी के सन्दर्भ में उसका प्रयोग करते है, तो उसमें अगर "श्री" शब्द जोड़ देते है, तो हमें ख्याल आ जाता है, कि हम मर्यादा पुरुषोतम राम का उच्चारण कर उन्हें याद कर रहे है। एक बात इससे साफ़ सी हमारे दिमाग में छा जाती है, कि हम किसी ऐसे इंसान के व्यक्तित्व की बात कर रहे है, जो आज