एपीसोड –4 नीलम कुलश्रेष्ठ पंडित जी ने उन्हें निपट अकेले घर में जीने के लिये तैयार किया था । उन्होंने दुनियाँ को बखूबी जीकर दिखा भी दिया है । उनके कमरे में दायीं तरफ दीवार से सटा हुआ पंडित जी का पलंग आज भी ज्यों का त्यों है । उस पर हमेशा धुली चादर बिछी रहती है । रज़ाई भी उसी पर रखी होती है । बीच में रखी होती है फूल की माला पहने सफेद दाढ़ी में मुस्कुराती पंडित जी की तस्वीर एक आश्वस्ति के रूप में । वे उन्नीस सौ पचास में जो प्रण चाँदोद से लेकर चले