एपीसोड --2 नीलम कुलश्रेष्ठ चाँदोद के उस मंदिर के महंत बड़ी गंभीरता से बिना आरती गाये सोलह दीपों वाले दीपक से भगवान की आरती उतारा करते थे । वैसे भी वह कम बोलते थे । स्त्रियों से बात नहीं करते थे, न ही उन्हें अपना चरण स्पर्श करने देते । ग्यारह बजे माँ उन्हें लेकर वैद्य के यहाँ लम्बी बेंचों पर लगी लाइन में बैठ जातीं । एक दिन लगता मधु की हालत सुधर रही है, दूसरे दिन लगता कि और खराब हो गई है । वह दूध भी नहीं पचा पाती थीं । महीने भर बाद वैद्य ने उनकी