कहानी--- अर्थतंत्र आर. एन. सुनगरया, दुर्गा प्रसाद के इर्द-गिर्द फैला सम्बन्धित जन समुदाय उसे, भलि-भॉंति जानता, मानता एवं पहचानता था। उनकी अपनी धारणाऍं थीं उसके प्रति, आन्तरिक-बाहरी। हाथी के दॉंत दिखाने के और एवं खाने के और! अतीत को भूलकर,