खोखले होते रिश्ते व अन्य लघुकथायें1--खोखले होते रिश्ते"काजल कह रही थी।शुक्रवार को चली जा।एक दिन और मिल जाएगा।"मैं एक साहित्यिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए रुद्रपुर जा रहा था।बस में मेरे पास वाली सीट पर एक युवती बैठी थी।होली पर वह घर जा रही थी।मोबाइल पर वह अपनी सहेली से बात कर रही थी।"तो चली जाती।गई क्यों नही?""क्या करती पहले जाकर।तीन दिन रहूंगी घरवालो के साथ,बहुत है",वंहा जाकर बोर होती।यंहा दोस्तो के साथ खूब एन्जॉय किया---मस्ती की---उसकी बातें सुनकर मैं सोचने लगा।संतान के घर से दूर रहने पर माँ बाप हर पल चिंतित रहते है और आजकल के बच्चे2--फर्जकेशव