प्रोटोकॉल

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जाड़े के दिनों में पेड़-पौधों को पानी की बहुत ज़्यादा ज़रूरत नहीं रहती। तापमान कम रहने से वातावरण की नमी जल्दी नहीं सूखती। बल्कि इस मौसम में खिलते फूलों को तो हल्की-हल्की गुलाबी धूप ही ज़्यादा सुहाती है। इसलिए माली रामप्रसाद काम के तनाव में नहीं था। वह दो-चार खर-पतवार के तिनके इधर-उधर करके,पानी का पाइप क्यारियों में छोड़ता और हथेली पर खाज करता हुआ बरामदे में काम कर रहे लड़के धनराज के पास आ बैठता। सर्दियों में हाथ बार-बार सूखा -गीला करते रहने से हथेली की त्वचा ख़ुश्की से खुजलाने लग जाती थी। लगता था जैसे बदन पर से उम्र की