क्या बचपन अब ज़िंदा है? - 3 - अंतिम भाग

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बचपन जीना सबके नसीब में कहा ! कुछ बच्चे मनीष जैसे भी होते है जो बचपन को जी नहीं पाते है ! अब तक आपने देखा मनीष को नई ज़िंदगी मिल जाती है उसे N.g.o ।मे पढ़ने और उसे संभालने की जिमेेदारी ! आज कल बच्चे अब बड़े होने चाहते हैं ! अब जैसे जैसे टेक्नोलोजी आगे बढ़ रही है वैसे वैसे सब मासूमियत जैसे कहीं गुम हो रही है! पहले फोन सिर्फ एक हुआ करता था और सब मिले के बात करते थे ! टीवी भी सब मिलके देखते थे अपने पसंदीदार प्रोग्राम ! रेडियो था जहां कहीं खबरे