घर की मुर्गी दाल बराबर - 1

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भाग 1 अक्सर सुनने या देखने में आता है कि अपने घर की प्रतिभा को समुचित मान्यता नहीं मिलती है .... कहानी - घर की मुर्गी दाल बराबर सुदीप जमशेदपुर के एक प्राइवेट कंपनी में क्लर्क था . उसकी नौकरी स्थायी नहीं थी .कंपनी बीच बीच में उसे कुछ दिनों के लिए बैठा देती थी ताकि उसको रेगुलर स्टाफ का हक़ नहीं मिले . वहीँ बिष्टुपुर में एक छोटे से घर में किराए पर अकेला रहता था .उसके माता पिता दोनों इस दुनिया में नहीं थे .सुदीप की प्रारम्भिक शिक्षा पटना के मीठापुर स्थित दयानंद विद्यालय से