इतिहास भक्षी

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इतिहास-भक्षी नब्बे साल की बूढ़ी आँखों में चमक आ गई। लाठी थामे चल रहे हाथों का कंपकपाना कुछ कम हो गया। … वो उधर , वो वो भी, वो वाला भी... और वो पूरी की पूरी कतार … कह कर जब बूढ़ा खिसियानी सी हँसी हँसा तो पोपले मुंह के चौबारे में एकछत्र राज्य करता वह कत्थई-पीला,बेतहाशा नुकीला,कुदालनुमा अकेला दांत फरफरा उठा। थूक के दो-चार छींटे उड़े। लड़के ने कान के पास मक्खी उड़ाने की तरह हाथ पंखे सा झला, फिर सामने देखने लगा। बूढ़ा उस उन्नीस-बीस साल के लड़के का दादा था। दूर के किसी गाँव का रहने वाला वह लड़का उस लम्बे-चौड़े