वचन--भाग(९) दरवाज़े की घंटी बजते ही समशाद ने दरवाज़ा खोला तो सामने दिवाकर खड़ा था,दिवाकर भीतर आ गया, उसने समशाद से पूछा कि आफ़रीन कहाँ है? समशाद बोली कि शिशिर साहब आएं है और वो उन्हीं के साथ हैं, ये सुनकर दिवाकर का पारा चढ़ गया और वो फौरऩ बैठक की ओर गया,वहाँ उसने आफ़रीन और शिशिर को साथ में देखा तो,शिशिर के शर्ट की काँलर पकड़ कर बोला___ यहाँ क्या करने आया है, चल निकल यहाँ से,दिवाकर बोला।। जरा तम़ीज से पेश़ आओ बरखुरदार, ये तुम्हारा घर नहीं है,शिशिर अपनी काँलर छुड़ाते हुए बोला।। तो क्या