नीलम कुलश्रेष्ठ मेरी सरहदों पर बिंदी, बिछुए, सिन्दूर -------अधिक कहूं तो पायल का पहरा है. ये सब तो तुम्हारे पास भी हैं फिर कैसे तुम उस पार की औरत बन गईं ?तुम अचानक मिल गई थीं बाज़ार में एक दूकान पर कोई साबुन खरीदती स्कूल में तुम मुझसे एक साल तो आगे थीं किन्तु स्पोर्ट्स में रूचि होने के कारण अक्सर हम लोग अपना नाश्ता बॉक्स खोलकर गपियाते थे, साथ साथ खाते जाते थे. तुमने आश्चर्य से कहा था, "त----त ---तू ?" "तुम ----?" मैं जबरन तुम्हें घर ले आई थी अपना आलीशान ड्राइंग रूम तुम्हें दिखाना चाहती थी. अपनी