नियति... - 4

(1.3k)
  • 9.2k
  • 3.9k

लगभग एक घंटे में मै अपने ग्राम पहुंच जाती हूं।घर पहुंच कर आदतन सबको प्रणाम कर हाथ मुंह धुलने के बाद अपने कमरे में जाती हूं।बड़े दिनों बाद अपने कक्ष में पहुंच कर मुझे बड़ा सुकून मिलता है।सबसे पहले पूरे कमरे का जी भर कर निरीक्षण कर लेती हूं उसके बाद आराम से अपनी चीजो को खंगालने लगती हूं।लेकिन वहां मेरी कुछ नाम मात्र की ही चीजें मुझे दिखाई देती हैं।जिनमें कुछ अच्छे कपडे,कुछ नोवेल्स,और कुछ डेकोरेटिव वस्तुएं जो मैंने खुद वेस्टेज से बनाई होती थी।जिनमें चूड़ियों और दीपो के जरिए बनाया गया हैंगिंग झूमर,प्लास्टिक बॉटल से बनाया गया खूबसूरत