कहानी-- दौलत – ऐ - देह --राजेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, ‘’बहु को बोलो....’’ मैंने पत्नी की ऑंखों में झॉंका, शिकायत भरी बैचेनी महसूस की, ‘’क्या हुआ ? अस्मन्जश में क्यों हो ?’’