कोरोना काल की कहानियां - 2

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"सपनों की सेल" पिछले एक घंटे में उसने सातवीं बार मोबाइल में समय देखा था। गाड़ी आने में अब भी लगभग सवा घंटे का समय बाक़ी था। निधि को अपनी चिंता नहीं थी। उसके तो रात - दिन मेहनत करने और जागने के दिन थे ही। फ़िक्र तो पापा की थी जो इतना लंबा सफ़र करके परसों ही तो अपने देश लौटे हैं और बिना विश्राम किए फ़िर उसे लेकर सफ़र पर निकल पड़े। वो भी क्या करे? बच्चे साल भर तक पढ़ाई करके परीक्षा में जो अंक लाते हैं उनसे थोड़े ही पूरा पड़ता है? अच्छे संस्थान तो प्रवेश