क्या ठीक है?

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एक ही इंसान से एक ही समय में प्यार और नफरत करना कितना हास्यास्पद है!लेकिन, ऐसा होता है-एक ही समय में एक ही इंसान से प्यार और नफरत. सच ही तो है-जब बाबू गलतफहमियों में घिरे हुए मां पर झूठे आरोप लगाते है, थब कितने विकृति और लिजलिजे मालूम देते हैं. और नफरत का एक सैलाब उनकी ओर मुँह फाड़े अजगर सा बढने लगता है. इसके बाद बाबू कितने पराये और अजनबी हो जाते हैं. उनके और परिवार के सदस्यों के बीच एक न पटने वाली खाई सी बन जाती है. उस खाई के बीच होती है नफरत