कुछ खफ़ा सा हूँ खुद से जुदा सा हूँ

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जब कभी हम को खुद पर गुस्सा आता है या खुद से ही नफरत हो जाती है तो हम फावड़ा उठाकर खेतो की तरफ चल देते है और तब तक काम करते है जब तक शरीर खुद न बोल पड़े अब तो रहने दे भाई क्या अब आज ही मांझी द माउंटेन बनना है।?????इस प्रकार हम इस कदर थक जाते है कि फिर घर आकर हम को दो चीजें दिखेंती है एक भोजन और दूसरा बिस्तरफिर हाथो के छालों पर गर्म तेल का लेप करके बेसुध होकर सो जाओ।फिर अगली सुबह देखते है कि क्या एंटीबायोटिक इलाज ढूंढते है क्योकि