राम रचि राखा - 6 - 10 - अंतिम भाग

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राम रचि राखा (10) मुन्नर को खिलाने के बाद रात का खाना खाकर भोला घर चला गया था। बिजली शाम को ही कट गयी थी। आजकल दिन की पारी चल रही है। मुन्नर ने लालटेन जलायी और ओसार में आ गए। उनके हाथ में एक खुरपी थी। एक कोने से दरी को हटाया और लालटेन जमीन पर रखकर वहाँ खोदना शुरू किया। दस-पंद्रह मिनट में घड़े का मुँह आ गया, जिसे मुन्नर ने दबा रखा था। हाथ डालकर जो भी रूपया पैसा था, सब बाहर निकाल लिए और घड़े का मुँह बंद कर पुनः उसे मिट्टी से ढँक कर ऊपर