गांधीजी के वे प्यारे तीन बंदर

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गांधी जी के वे प्यारे तीन बंदर अन्नदा पाटनी दरवाज़े पर अजीब सी दस्तक सुनाई दी । देखा तो तीन बंदर थे । मैं डर गई, बोली," अरे तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? जाओ छत पर जाओ और वहीं कूदो फाँदो ।" दरवाज़ा बंद करने जा ही रही थी कि वे बोले," हम वह बंदर नहीं है । स्पेशल बंदर हैं । हम गांधी जी के बंदर हैं ।" "क्या गांधी जी के बंदर हो ? क्या मतलब ?" तभी तीनों ने अपने अपने हाथ मुँह पर, आँख पर और कान पर रख कर चिरपरिचित पोज बना लिए