आज जान्हवी खुश भी थी,साथ ही विगत की यादों के पुनः स्मरण से व्यथित भी थी।आज उसकी प्रिय सखी शुचि अपने डेढ़ साल के बेटे पार्थ एवं पति विनय के साथ आ रही थी।उनके स्वागत की तैयारियों में हाथ तो व्यस्त थे किंतु मन यादों की गलियों में भटक रहा था। शुचि, जान्हवी, अन्वय एवं करण चारों मित्र ऑफिस में चौकड़ी के नाम से मशहूर थे।इनकी घनिष्ठ मित्रता के बारे में इनके परिवार वाले भी जानते थे।किसी का जन्मदिन हो,नए साल की पार्टी हो,कहीं घूमने जाने का प्रोग्राम हो या वीकेंड पर फ़िल्म देखना, चारों हमेशा साथ होते।शुचि