एक व्याख्यान भारतीय नारी और दहेज प्रथा

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संबोधन-"मानस भवन में आर्यजन जिनकी उतारे आरती, भगवान भारत वर्ष में गूंजे हमारी भारती।हे भद् भावद भवानी हे भगवती हे भारती।सीता पते सीता पते, गीता मते गीता मते।।"पद्माद्राणीय प्रियबन्धु क्षेत्र से आये हुवें सम्मानित जनों तथा सभी प्यारे भाई-बहन आप सभी को नमन करते हुवें मैं आज भारतीय नारी पे व्याख्यान देने के लिए उपस्थित हूं।आप सभी से निवेदन है कि मेरी टूटी-फूटी भाषाओं पर विचार न करते हुवें मुझे शिक्षा विध तथा मेरे मंगलमय भविष्य की शुभकामनाएं देते हुवे शुभ आशीष प्रदान करे!आज के इस विशेष दिन पर बोलने के लिए अनेक विषय दिए गए है। किंतु उनमे नारी