लिखी हुई इबारत - 5

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9 - दंड गाड़ी से उतरकर , बहुत आत्म विश्वास के साथ धीरज ने अपना चेहरा मोबाइल की स्क्रीन में देखा। नोटों से भरे हुए सूटकेस को हल्के से थपथपाया।आज एक और तथाकथित ईमानदार अधिकारी के ईमान को खरीदने के संकल्प के साथ उसके होंठों पर एक स्मित खेल गई। " सर! शहर में एक नई अधिकारी आई है। उसने हमारे होटल की अवैध रूप से बनी चार मंज़िलों को गिरा देने का आदेश जारी कर दिया है।” सुबह ही उसके मैनेजर ने उसे सूचित किया था।" इतना घबरा क्यों रहे हो वर्मा? कुछ पैसों की ज़रूरत होगी बेचारी को।" उसने मामले