मॉ पर लघुकथाएँ

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बेसहारा--------------"मम्मी,इरा का तुम्हारे साथ निर्वाह नही हो सकता।"उमेश इन्टर मे पढ़ता था।तभी उसे अपने साथ पढ़ने वाली इरा से प्यार हो गया था।इरा क्रिस्चियन थी।रमेश नही चाहता था,उसका बेटा दूसरे धर्म की लड़की से प्यार के चक्कर मे पड़े।उसने बेटे को इरा से दूर रहने के लिए समझाया।पर व्यर्थ।उमेश इंजिनीरिंग करना चाहता था।उसने बेटे का एडमिशन कानपुर के कॉलेज में करा दिया।उमेश कानपुर चला गया।रमेश ने सोचा था।उमेश ,इरा से दूर रहेगा,तो उसे भूल जाएगा।लेकिन ऐसा नही हुआ।उमेश और इरा रोज फोन पर बाते करते।उमेश कॉलेज की छुट्टी में आगरा आता तब उसका ज्यादातर समय इरा के साथ गुज़रता।रमेश को