श्रीमद्भगवतगीता महात्त्म्य सहित (अध्याय-१५)

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जय श्रीकृष्ण बंधुवर! श्रीगीता जी के अशीम अनुकम्पा से आज श्री गीताजी के १५ वें अध्याय को लेकर उपस्थित हूँ श्रीगीताजी के अमृतमय शब्दो को पढ़कर आप सभी अपने जीवन को कृतार्थ करे भगवान की कृपा आप सब बन्धुजनों पर बनी रहे।जय श्रीकृष्ण! ~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~~ ?श्रीमद्भगवतगीता अध्याय-१५?श्री भगवान बोले- संसार, अश्वत्थ(पीपल) के समान है, जिसका पुराना पुरुष रूप जड़ ऊपर है और चराचर शाखा नीचे है, वेद इसके पत्ते हैं, जो यह जानता है वही वेद का ज्ञाता है। इसकी शाखायें ऊपर फैली हुई हैं। सत्व, रजं तमोगुण इसकी रस वाहिनी नसें है इससे इनका