मुआवजा-विवाह अंधकार ने अपना फन फैलाया। अंधेरे का काला सर्प रेंगा और शाम के धुंधलके पर कुण्डली मारकर बैठ गया। इसी के साथ सूरज ने क्षितिज में मुंह छुपा लिया। शायद वह भी मीनू के दुख को और अधिक समय तक देख पाने में असमर्थ था। भानू का शव अग्नि को समर्पित करके लौटे सब रिश्तेदार और पड़ोसी अपने घरों को लौट गए थे। जवान मौत पर शोक जताने के लिए आने वाले लोगों का तांता अब कुछ थम सा गया था। आंगन में बिछी दरी पर बड़े भैया शंकर, पापा, चाचा, मामा और बाहर से आए मौसा व फूफा